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ज्योति षर्मा डाॅ. श्रद्धा सिंह चैहानAbstract: प्रस्तुत अध्ययन का उद्देष्य माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की भाषा के संदर्भ में अधिगम क्षमता का अध्ययन करना था। इस अध्ययन के लिए सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया। न्यादर्ष के लिए जयपुर जिले के 340 विद्यार्थियों का चयन साधारण यादृच्छिक विधि द्वारा किया गया। इस षोध कार्य में आंकडों का संकलन करने के लिए स्वनिर्मित अधिगम क्षमता मापनी का प्रयोग किया गया। आंकडों का विष्लेषण माध्य, मानक विचलन एवं टी-परीक्षण के द्वारा किया गया। प्रस्तुत अध्ययन से यह निष्कर्ष प्राप्त हुआ कि माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत विद्यार्थियों की विद्यालयी विविधता के संदर्भ में अधिगम क्षमता में सार्थक अंतर है एवं माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत ग्रामीण एवं षहरी क्षेत्र के विद्यार्थियों की विद्यालयी विविधता के संदर्भ में अधिगम क्षमता में सार्थक अंतर है। |
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1-12 |
2 |
विपिन बिहारी षर्मा डाॅ. प्रभा कुमारीAbstract: इस अध्ययन का उद्देष्य विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य व अध्ययन आदतों का पारिवारिक वातावरण के संदर्भ में तुलनात्मक अध्ययन करना था। इस हेतु सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया है। राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले के उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत् 400 विद्यार्थियों को न्यादर्ष के रूप में चयनित किया गया है। अध्ययन के परिणाम में यह पाया कि विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य एवं पारिवारिक वातावरण में सार्थक सहसंबंध है एवं विद्यार्थियों की अध्ययन आदतों का पारिवारिक वातावरण में सार्थक सहसंबंध है। |
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13-20 |
3 |
प्रो. ;डाॅ. सुषमा सिंह रंजीता सिंहAbstract: प्रस्तुत शोध अध्ययन का उद्देश्य उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की आध्यात्मिक बुद्धि एवं मानसिक स्वास्थ्य के बीच सहसंबंध का अध्ययन करना है। यह अध्ययन कोटा जिले में स्थित उच्च माध्यमिक स्तर के राजकीय तथा निजी विद्यालयों की कक्षा 11 तथा 12 में अध्ययनरत् विद्यार्थियों पर सम्पादित किया गया है। अतः अध्ययन के लिए कुल 600 उत्तरदाताओं का चयन न्यादर्श के रूप में किया गया है। सर्वेक्षण विधि के अन्तर्गत स्वनिर्मित आध्यात्मिक बुद्धि मापनी तथा डाॅ. अरूण कुमार सिंह एवं डाॅ. अल्पना सेन गुप्ता द्वारा निर्मित ‘मानसिक स्वास्थ्य बैटरी’ का उपयोग किया गया है। उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की आध्यात्मिक बुद्धि एवं मानसिक स्वास्थ्य के मध्य सूक्ष्म एव ंनगण्य धनात्मक सहसंबंधा पाया गया है। |
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21-27 |
4 |
कंचन यादव डॉ संजय कुमार यादवAbstract: स्वामी विवेकानंद, एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने भारतीय संस्कृति को विश्व पटल पर पहुंचाया। उनके विचारों ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित किया। शिक्षा के क्षेत्र में भी उनका योगदान अतुलनीय है। उनके शिक्षा दर्शन ने न केवल भारतीय शिक्षा प्रणाली को नई दिशा दी बल्कि व्यक्ति के सर्वांगीण विकास पर भी जोर दिया। स्वामी जी शिक्षा को एक व्यापक प्रक्रिया मानते थे, जो केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं है। उनके अनुसार, शिक्षा जीवन का एक अभिन्न अंग है और यह हर जगह और हर समय होती रहती है। उन्होंने प्राकृतिक वातावरण, सामाजिक संपर्क और आध्यात्मिक अनुभवों को भी शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना। स्वामी जी का मानना था कि शिक्षा का लक्ष्य केवल व्यक्ति का विकास नहीं है, बल्कि समाज का भी विकास करना है। उन्होंने शिक्षा को एक सामाजिक परिवर्तन का साधन माना। उनके अनुसार, शिक्षित व्यक्ति ही समाज के विकास में योगदान दे सकता है। स्वामी जी धर्म और शिक्षा को एक दूसरे से अलग नहीं मानते थे। उनके अनुसार, धर्म व्यक्ति को नैतिक मूल्य प्रदान करता है और शिक्षा व्यक्ति को इन मूल्यों को समझने और लागू करने में मदद करती है। स्वामी विवेकानंद का शिक्षा दर्शन आज भी प्रासंगिक है। उनके विचारों ने भारत में शिक्षा के क्षेत्र में कई सुधार लाए हैं। |
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28-35 |
5 |
सुमनAbstract: उषा प्रियंवदा का जन्म 24 दिसम्बर 1930 को उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में हुआ था। इनकी माता का नाम प्रियंवदा, जो वह अपने नाम के साथ जोड़ती है पिता का नाम दामोदर सक्सेना था। उषा प्रियंवदा भाई-बहनों में सबसे छोटी थी। इनकी बड़ी बहने कमला, कामिनी तथा भाई होरी लाल, शिब्बनलाल सक्सेना तथा इनके बड़े भाई ने प्रोफेसर की नौकरी छोड़कर राजनीति में चले गये थे। उषा जी का जीवन बड़े ही संघर्षों में बीता हुआ था। इनकी दादी का नाम राम देवी, बड़ी दादी गुलाब देवी।उषा जी बचपन से ही सुशील स्वभाव की थी। उषा जी के पिता की मृत्यु असमय में हो गई। जिसके कारण वह अपनी माँ के और भी निकट आ गई। इनकी माँ बहुत ही सुंदर और सुशील थी। इनकी मां जमीदार की पुत्री थी। माँ के विषय में उषा जी स्वयं लिखती ‘‘माँ हर प्रहार से सुरुचिपूर्ण और सलाके वाली थी।’’1 साहित्य का ज्ञान इन्हें अपनी माँ से मिला था। |
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36-42 |
6 |
Yoglata Singh, BPS ThenuanAbstract: Gender gap is one of the prominent issues in academics and society, it is in economy, politics, society, education, administration, i.e., it is everywhere it is in STEM field also. Women are underrepresented in STEM field in our society which create significant challenges as we enter the era of digital transformation. This article studies the gender gap in science, technology, engineering, and math (STEM) jobs in India and tries to examine its causes and its various aspects in Indian society. Paper presents a descriptive analysis the overall related to individual, social, and behavioral factors that pose individual barriers for women in STEM jobs. |
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43-61 |
7 |
Amit Kumar JhaAbstract: Comparing the availability, quality, and use of physical education (PE) facilities in public and private upper secondary schools across the Delhi NCR area is the goal of this research. In light of the increasing focus on holistic education, physical education is essential for fostering students' mental, physical, and teamwork as well as their discipline. The study used a mixed-method approach that includes both formal questionnaires and on-site inspections to evaluate student engagement in sports, the frequency of physical activity sessions, the availability of qualified PE teachers, and sports infrastructure. Stratified random selection was used to choose a sample of 40 schools, 20 of which were public and 20 of which were private. The results show notable differences between public and private schools, with the former often offering more frequent physical education classes, better sports facilities, and more instructors. Public schools, however, demonstrated more community involvement and inclusiveness. The report emphasises that in order to close the infrastructural and quality gaps in physical education across the educational system, legislative changes, more government financing, and public-private partnerships are required. |
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62-69 |