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भारतीय विदेश नीति में कौटिल्य के नीतियों के प्रभाव की समीक्षा करें : मोदी जी के कार्यकाल में
डॉ विपिन कुमार मेहता
Abstract:
भारतीय विदेश नीति एक सतत विकास की प्रक्रिया है, जो ऐतिहासिक अनुभवों, भौगोलिक वास्तविकताओं और बदलती वैश्विक परिस्थितियों से आकार लेती है। प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतन के महानतम विद्वानों में से एक, कौटिल्य, ने अपने अर्थशास्त्र में शासनकला, कूटनीति और विदेश नीति के सिद्धांतों का विस्तृत वर्णन किया है। यद्यपि सदियाँ बीत चुकी हैं, कौटिल्य के विचार आज भी भारतीय विदेश नीति के कुछ पहलुओं में प्रासंगिक दिखाई देते हैं, विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में। कौटिल्य का विदेश नीति दर्शन 'मंडल सिद्धांत' और 'षड्गुण' पर आधारित है। मंडल सिद्धांत पड़ोसी राज्यों के साथ संबंधों की जटिल गतिशीलता की व्याख्या करता है, जिसमें मित्र, शत्रु और तटस्थ राज्यों की पहचान करना शामिल है। 'षड्गुण' विदेश नीति के छह पहलुओं - संधि, विग्रह, यान, आसन, द्वैधीभाव और समाश्रय - का वर्णन करता है, जिनका उपयोग विभिन्न परिस्थितियों में राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए किया जा सकता है। मोदी सरकार की 'पड़ोसी प्रथम' नीति, जिसके तहत पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को प्राथमिकता दी जाती है, कौटिल्य के मंडल सिद्धांत से प्रेरित हो सकती है। कौटिल्य ने पड़ोसी राज्यों के महत्व को रेखांकित करते हुए मित्रवत संबंधों को बढ़ावा देने और संभावित खतरों से निपटने की सलाह दी थी। मोदी सरकार ने बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों के साथ कनेक्टिविटी, व्यापार और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया है। हालांकि, पाकिस्तान और चीन के साथ संबंध मंडल सिद्धांत के शत्रु और मध्यस्थ राज्यों की जटिलताओं को दर्शाते हैं।